भारत का इतिहास विश्व में समृद्धशाली इतिहास के रूप में अंकित है भारत की स्थापत्य कला ने भारत को एक समृद्धशाली देश के रूप में स्थापित करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है भारत को राजाओ का देश भी कहा जाता है जहा बहुत से राजाओ ने अपनी समृद्धता का प्रदर्शन और सुरक्षा के लिए बड़े बड़े किलो का निर्माण कराया ये किले राजपूत और मुग़ल शाशको ने अपने शाशनकाल में बनवाए. इस देश में अनेकों किले है जो अपने हजारो वर्षो के अस्तित्व के इतिहास के बारे में बताते है ये किले आपको भव्यता, कलात्मकता, वास्तुकला के रोमांचित समुद्र में गहरे दुबकी लगाने का मौका देते है. और इन किलो में जाने का बाद आपको भारत देश के इतिहास और विरासत पर गर्व की अनुभूति होगी आईये हम इन स्थानों के बारे में जानते है
1. लाल किला ( नयी दिल्ली )
भारत की राजधानी दिल्ली और उसके केंद्र में स्थापित लाल पत्थरो से निर्मित भव्य वास्तुकला का एक अनूठा उदहारण है लाल किला. लाल किला यह नाम इसके लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण मिला है . इसका निर्माण सन १९४८ में मुग़ल शाशक शाहजंहा ने करवाया था. तथा इसके निर्माण में दस वर्षो का समय लगा. लालकिले को अष्टकोणीय आकार में बनाया गया है इसके दो गेट है एक दिल्ली गेट और दूसरा लाहोरी गेट, लाहोरी गेट को किले का मुख्य द्वार भी कहा जाता है. जैसा की हम सभी जानते है की वास्तविक रूप से Red Fort को किला-ए-मुबारक कहा जाता था। इस किले को तब बनाया गया था जब शाह जहाँ ने अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था।
पहले स्वतंत्रता दिवस से, हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री Red Fort पर ध्वज लहराकर भाषण देते है।हर साल स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री Red Fort पर तिरंगा लहराकर भाषण भी देते है। और यह परंपरा तभी से चलती आ रही है।
2007 में यूनेस्को ने लाल किले के महत्त्व और इतिहास को देखते हुए उसे वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित किया। यह भारत के लिये काफी गर्व की बात है।
2. आमेर किला, जयपुर
आमेर फोर्ट आमेर में स्थित है, जो जयपुर से 11 किलोमीटर दूर स्थित है। आमेर, मूल रूप से, जयपुर से पहले राज्य की राजधानी थी। यह एक पुराने किला है, जिसे 1598 में राजा मान सिंह ने बनाया था। यह किला भी आमेर पैलेस के रूप में बहुत लोकप्रिय है। मावठा झील पर बनया गया आमेर किला लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनाया गया थाजो की पूरे किले को एक विशिष्ट आकर्षण प्रदान करता है। हालांकि किला काफी पुराना है और यहां तक कि बाहर से भी दिख सकता है, यह अंदर से बहुत ही सुंदर है इसमें ‘दीवान-ए-आम’, ‘शीश महल’ और यहां तक कि ‘सुख महल’ जैसी प्रतिष्ठित इमारतों बनी हुई है। आमेर फोर्ट हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला दोनों के प्रभावों पर आधारित है। इस किले में ‘शीला देवी’ मंदिर और ‘गणेश पोल’ भी शामिल है जो कि एक द्वार है जो राजाओं के निजी महलों की ओर जाता है। आमेर किले में कई मंडप और और हॉल है जो लोकप्रिय आकर्षण हैं।
3. गोलकुंडा किला, हैदराबाद
गोलकुंडा फोर्ट गोलकुंडा के प्राचीन साम्राज्य की राजधानी थी जो 14 वीं से 16 वीं शताब्दी तक विकसित हुआ था। यहआंध्र प्रदेश राज्य की राजधानी हैदराबाद से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला 400 फीट ऊँची ग्रेनाइट पहाड़ी पर स्थित है जिसमें कुल आठ दरवाजे हैं और यह तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा है। यह भारत के सबसे शानदार किले परिसरों में से एक है। दुर्ग से लगभग आधा मील उत्तर कुतबशाही राजाओं के ग्रैनाइट पत्थर के मकबरे हैं जो टूटी फूटी अवस्था में आज भी मोजूद है।
4. चित्तौड़गढ
चित्तौड़गढ़ किले को भारत का सबसे बड़ा किला होने का श्रेय प्राप्त है। विशाल किला चित्तौड़गढ़ में गम्भरी नदी के निकट एक उच्च पहाड़ी पर स्थित है। चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान में उदयपुर शहर से 112 किलोमीटर दूर स्थित है।
इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद ने सातवीं शताब्दी में करवाया था। सन् ७३८ में गुहिलवंशी रोड राजा बाप्पा रावल ने राजपूताने पर राज्य करने वाले मौर्यवंश के अंतिम शासक मानमोरी को हराकर यह किला अपने अधिकार में कर लिया। फिर मालवा के परमार राजा मुंज ने इसे गुहिलवंशियों से छीनकर अपने राज्य में मिला लिया। यह किला 700 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, इसकी लंबाई 3 कि.मी. तक और परिधीय लंबाई में 13 किलोमीटर है। 180 मीटर के एक ऊंचा पहाड़ी पर खड़ा हुआ, इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए निशितअन्तराल पर सात दरवाजे बनाये गए है।