भारत में कई सम्राट हुये जिन्होनें बहुत बडे भूभाग पर राज किया है उन चक्रवती सम्राटों में सबसे बडा नाम है अशोक का। जिन्हें अशोक महान कहकर भी संबोधित किया जाता है। मोर्य वंष का यह चक्रवती सम्राट ने अपना साम्राज्य विस्तार पूरे भारत के अलावा उत्तर में अफगानिस्तान और ईरान तक और पष्चिम में बांग्लादेष, भूटान और म्यांमार तक फैला लिया था। मोर्य वंष के शासक अषोक ने ईसा पूर्व 232 से लेकर ईसा पूर्व 272 तक भारत वर्ष पर शासन किया था। एक समय युद्ध में मारे गये योद्धाओं को देखकर इनका मन यूद्ध से विमुख हो गया था। और इन्होनें गौतम बुद्ध के बताये अहिंसा के मार्ग पर चलकर बौद्ध धर्म अपना लिया था।
बिन्दूसार के पुत्र थे यह महान सम्राट
सम्राट अशोक राजा बिन्दूसार और धर्मा के पुत्र थे। धर्मा किसी राजकुल से नहीं थी। बिन्दूसार ने कई शादियॉ की थी और उनसे उन्हें अषोक के अलावा और भी कई संताने थी। इतिहास में अषोक के अलावा उनके सौतेले बडे भाई सूसीम और तिष्य का उल्लेख मिलता है। अषोक बचपन से ही सैन्य गतिविधियों में पारंगत थे। अषोक में और उसके भाइयों में हमेषा प्रतिस्पर्धा रहती थी। सूसीम उस समय तक्षषीला का प्रांतपाल था। उसके अकुषल प्रषासन के कारण वहां विद्रोह हुआ। जिसके लिये सूसीम के कहने पर राजा बिन्दूसार ने विद्रोह को दबाने के लिये अषोक को भेजा। अशोक ने सफलता पूर्वक उस विद्रोह को दबाया। इससे अषोक की प्रसिद्धी हुयी।
सभी सौतेले भाईयों को मार कर बने थे सम्राट
तक्षषीला का विद्रोह दबाने के कारण अशोक को सिंहासन का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। इसी बीच षडयंत्र द्वारा सूसीम ने पिता को कह अषोक को निर्वासित करवा दिया। लेकिन उज्जैन में विद्रोह होने पर उसे वापिस बुला उज्जैन का विद्रोह को दबाने के लिये भेजा गया। उस समय अषोक ने सैनिको द्वारा उस विद्रोह को भी दबा दिया लेकिन उस समय उसे सूसीम से जान को खतरा था इसलिये वह उस समय भेष बदलकर बौद्ध सन्यासियों के साथ रहा। इस बीच उसे गौतम बुद्ध की षिक्षाओं के बारे में पता चला। इसी बीच उसे इस बात का पता चला कि उसके सौतेले भाइयों ने उसकी मॉ को मार डाला है। इस कारण उसने बदला लेते हुये अपने सभी सौतेले भाइयों को मार डाला और मोर्य वंष का शासक बना।
कलिंग के युद्ध में गयी थी 1 लाख सैनिकों की जान
सम्राट अषोक ने करीब 40 वर्ष शासन किया। इस बीच उन्होनें कोर्वकी और देवी से शादी की। अशोक ने कई शादियॉ की लेकिन वह देवी को सबसे अधिक चाहते थे। अपने राज्यअभिषेक के 8 साल बाद उन्होनें कलिंग पर आक्रमण किया। कलिंग के युद्ध में करीब 1 लाख 50 हजार लोग निर्वासित हुये और 1 लाख लोग मारे गये। जब कलिंग ने युद्ध के मैदान में इस तरह लाषों को देखा तो वे बहुत दुखी हो गये। और व्यथित हो वे बौद्ध के उपदेषों के करीब आते गये और उन्हानें अतंतः बौद्ध धर्म अपना लिया।
अषोक के पुत्र महेन्द्र ने श्रीलंका के राजा को किया था बौद्ध धर्म में दीक्षित
बौद्ध धर्म का उन्होनें बहुत प्रचार प्रसार किया। अशोक ने अपने काल में कई प्रमुख विष्वविद्यालय नांलदा, तक्षषीला, विक्रमषीला और कंधार का निर्माण करवाया। उन्होनें अपने पुत्र महेन्द्र और पूत्री संघमित्रा को भी बौद्ध धर्म के प्रसार के लिये भेजा। उनके पुत्र महेन्द्र ने श्रीलंका के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया। सम्राट अशोक ने अपने राज्य में आमोद प्रमोद यात्राओं पर प्रतिबन्ध लगा दिये। और ब्राह्मण और साधु संन्यासियों को खुब दान देने लगे।
अषोक की मृत्यू 236 ईसापूर्व के लगभग हुयी। उनकी मृत्यू के बाद उनके उत्तराधिकारी सही ढंग से शासन नहीं कर पाये। और उनकी मृत्यू के बाद 50 साल और मौर्य शासन रहा। सम्राट अषोक की गिनती दुनिया के महान सम्राटों में होती है जिन्होनें बहुत बडे भूभाग पर शासन किया।