महाभारत के समय उस समय कई अतुलित योद्धा थे लेकिन अगर सबसे अधिक किसी को मिली तो या तो वे कृष्ण थे या फिर अर्जुन। अर्जुन को महान धनुर्धारी कहा जाता है। अर्जुन ने तपस्या के बल पर विविध शस्त्र देवताओं से हासिल किये थे। लेकिन आज हम आपको अर्जून से जूडे एक श्राप के बारे में बतायेगें जिसकी वजह से अर्जुन को एक वर्ष तक नपूंसक जीवन बिताना पडा था। आईये जानते है क्या थी इस श्राप के पीछे की वजह।
स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी ने दिया था ये श्राप
कुन्ती को इन्द्र के वरदान से अर्जुन पूत्र रूप में प्राप्त हुये थे। यही वजह थी कि अर्जुन संगीत और नृत्य की शिक्षा लेने चित्रसेन के पास गये हुये थे। उस समय स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी की नजर अर्जुन पर पडी। अर्जुन को देखकर उर्वशी उन पर आसक्त हो गयी। अर्जुन के पास आकर उर्वशी ने उनसे विवाह करने की इच्छा जतायी। उर्वशी ने कहा कि मेरा मन तुममें लग गया है और तुमसे विवाह करके मैं अपनी इच्छाओं का तृप्त करना चाहती हूॅ।
नंपूसक होने का दिया था श्राप
उर्वशी अत्यंत सून्दर थी लेकिन अर्जुन भी योगी पुरूष थे उन्होनें उर्वशी से कहा – देवी आप हमारे पूर्वजों की जननी हो में कैसे आपसे विवाह करने का घोर अनर्थ कर सकता हूॅ। तब उर्वशी अर्जुन की इस बात से क्रोधित हो गयी और बोली की तुमने मेरे प्यार को ठुकराया है और एक नपूंसक की तरह बात की है। इसलिये मैं तुम्हें श्राप देती हुॅ कि तुम नंपूसक हो जाओ। अर्जुन इस श्राप के मिलने से बहुत दुखी हुये।
अज्ञातवास में मिली सहायता
जब श्राप की बात इन्द्र को पता चली तो उन्होनें अर्जुन को कहा कि तूमने उर्वशी का जो अपमान किया है उसका दंड तो तूम्हें झेलना पडेगा। लेकिन उसकी अवधि केवल 1 वर्ष होगी। और यह एक वर्ष नंपूसक बनने का श्राप तुम्हारे बहुत काम आयेगा। बाद में जब पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास मिला तब अर्जून 1 वर्ष अज्ञातवास के रूप में एक राजा के यहां रहे जहां उन्होनें एक किन्नर के रूप में उत्तरा को एक वर्ष तक नृत्य की शिक्षा दी। यही उत्तरा बाद में अभिमन्यू की पत्नि बनी।