दुनिया के सात अजुबों में शामिल भारत के ताजमहल को मोहब्बत की निषानी मानी जाती है। पुरी दुनिया से लोग ताजमहल की सुन्दरता का दीदार करने आते है। ताजमहल को मुगल बादषाह शाहजंहा ने अपनी बेगम मुमताज महल के लिये बनाया था। लेकिन साथ ही कई लोग यह भी दावा करते हैं कि ये एक हिंदू शिव मंदिर है। लेकिन साथ ही ताजमहल अभी भी अपने में कई रहस्य समेटे हुये है। कहा जाता है कि ताजमहल के नीचे कई ऐसे कमरे है जिनको अगर खोला गया तो इतिहास बदल जायेगा। लेकिन इन कमरे को खोलने का रिस्क आज तक किसी सरकार ने नहीं लिया है।
कई लोगों का मानना है कि नीचे है शिव मंदिर
इतिहास के अनुसार ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने 1631 में शुरू करवाया था। और यह पुर्ण बनकर 1653 में तैयार हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार ताजमहल के नीचे कई ऐसे कमरे है जो शाहजहां के समय से ही बन्द कर दिये गये थे। कोई कहता है कि इनके नीचे वास्तविक मुमताज की कब्र है तो किसी का मानना है कि इन बन्द दरवाजों के पीछे षिव मंदिर है जिसे किसी समय तेजामहालय कहा जाता है। इसके बारे में पी.एन. ओक भी एक किताब लिख चुके है।
हो सकता है बडा खजाना
इतिहासकार बताते है कि मेटल डिटेक्टर से जांच में पाया गया था कि इनके पीछे कुछ धातुएं है ऐसा भी अनुमान लगाया जाता रहा है कि इन कमरों में कोई खजाना भी छुपा हो सकता है। ये भी कहा जाता है कि इन बन्द दरवाजों के पीछे सुरंग बनी हुयी है जिनसे बादषाह शाहजहां ताजमहल के अंदर आया करते थे लेकिन बाद में इन सुरंगों को ईंट की दिवार खडी करके बन्द करवा दिया गया था। वैसे तो लोगों की मांग है कि इन बन्द दरवाजों के पीछे की हकिकत सरकार को बतानी चाहिये। सरकारी निगरानी में इन्हें खोलकर इनका सच सारी दुनिया के सामने लाना चाहिये। अब देखना है लोगों की मांग पर सरकार इन्हें कब दुनिया के सामने ला पाती है।