शास्त्रों में कहा गया है कि जब जब धरती पर अधर्म बढता है और धर्म की हानी होती है पापियों का बोलबाला होता है तब तब भगवान अधर्म और पापियों का नाष करने के लिये अवतार लेते है। शास्त्रों में भगवान विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख मिलता है जिनमें से 9 अवतार तो अब तक भगवान ले चुके है। कृष्ण के रूप में भगवान ने आठवां अवतार लिया था और अधर्मी कंस का नाष किया था। भगवान अब कलियुग में एक बार फिर अवतार लेकर धरती पर से अधर्म का नाष करेगें और उनका यह अवतार कहलायेगा कल्कि अवतार।
मद्भागवत महापुराण में है कल्कि अवतार के बारे में वर्णन
श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान के सभी दसों अवतारों की कथाएं विस्तार से बतायी गयी है। इस पुराण के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में बताया गया है कि भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का जन्म उत्तरप्रदेष के गंगा और महागंगा के बीच बसे मुरादाबाद के संभल ग्राम में होगा। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि जहां भगवान कल्कि के रूप में अवतार लेगें वहां 68 तीर्थो का वास होगा। भगवान का यह अवतार कलयुग और सतयुग के संधीकाल में होगा।
परशुराम होगें गुरू
कल्कि अवतार के बारे में मद्भागवत पुराण के अलावा कल्कि पुराण में भी उल्लेख किया गया है। कल्कि पुराण में बताया गया है कि भगवान संभल ग्राम में ब्राह्मण परिवार में विष्णुयष और सुमति के घर होगा। उनके पुरोहित याज्ञवलक्य होगें और गुरू होगें परषुराम। भगवान कल्कि के दो पत्नियां लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी रूपी लक्ष्मी होगी। भगवान कल्कि सफेद घोडे देवदत्त पर सवार होगें। हाथ में तलवार होगी और वह अधर्म का नाष करेगें।
जन्मस्थान को लेकर है मतभेद
कल्कि अवतार के बारे में कई पुराणों और शास्त्रों में उल्लेख किया गया है लेकिन कई बातों को लेकर लोगों में मतभेद है। भगवान के पैदा होने के स्थान को लेकर भी अलग अलग जगह बतायी जा रही है। जिस जगह भगवान कल्कि जन्म लेंगे उस संभल गांव को कोई कष्मीर तो कोई पंजाब। इस समय भी अधर्म चरम पर है दुनिया में पाप बहुत बढ गया है और शायद भगवान के अवतार लेकर धरती पर आने का भी यही सही समय है। लेकिन अब यह तो भगवान के उपर है कि वे कब आकर धरती पर से अधर्म का नाष करते है।