आज भारत में नरेन्द्र मोदी की सरकार है और इसका मूलमंत्र है एक पारदर्शी सरकार। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने काग्रेंस के भ्रष्टाचार पर जमकर हमला बोला था और कहा था कि मनमोहन सिंह सरकार एक घोटालों की सरकार है। वैसे पार्टिया कोई भी हो समय समय पर सभी पर भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप लगते रहें है। घोटाने होने का प्रमुख कारण होता है कि सत्ता पर जिसकी पकड हो वह अधिकारियों के साथ मिलकर आर्थिक हेराफेरी करते है जिसमें जनता की खून पसीन की कमाई को घोटालेबाज हडप लेते है। जिसके कारण देश व समाज को भारी नुकसान होता है। आज हम इसी पर एक रिपोर्ट लाये है आपके लिये जिसमें आज हम देश के सबसे बडे 5 घोटालों के बारे में जानकारी देगें।
कोयला घोटाला
देश में सबसे बडे घोटाले के रूप में विख्यात इस कोयला घोटाले की कालिख में कई राजनेताओं और अधिकारियों के रंगे थे। यह घोटाला 2012 में मनमोहन सिंह सरकार के समक्ष आया था। इस घोटाले में कैग ने भारत सरकार पर आरोप लगाया था कि वर्ष 2004 से 2009 के बीच कोयला भण्डार को मनमाने तरिके से बिना किसी निलामी प्रक्रिया के आबंटित किये गये थे। इसमें कैग ने 142 कोयला ब्लॉक आबंटन से 1.86 लाख करोड रूपये के घोटाले का अनुमान लगाया गया था। इस घोटाले की आंच प्रधानमंत्री तक पहुॅच गयी थी। और विपक्ष ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग की थी।
2 जी घोटाला
टेलीकॉम क्षेत्र का यह घोटाला वर्ष 2010 में प्रकाश में आया था। जहां कैग ने 2008 में हुये स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खडे किये थे। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इस स्पैक्ट्रम आबंटन की प्रक्रिया में निलामी की बजाय पहले आओ पहले पाओ की नीती को अपनाया गया था। जिसके कारण सरकारी खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड रूपये का नुकसान हुआ था। इस घोटाले के चलते उस समय के दुरसंचार मंत्री ए राजा को 15 महिन जेल में रहना पडा था बाद में उन्हें जमानत मिली थी उन पर आरोप था कि उन्होनें अपनी पंसदीदा कंपनियों को मौका देते हुये 2001 के स्पेक्ट्रम के आधार पर आबंटन किया था। इस घोटाले की आंच भी पूर्व प्रधानमंत्री कार्यालय और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम पर आयी थी।
कॉमनवेल्थ घोटाला
इन बडे घोटालों की सूची में एक नाम कॉमनवेल्थ घोटाले का भी है। नई दिल्ली में वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेमों का आयोजन किया गया था जिसमें केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी जांच में यह पाया था कि इन गेमों की तैयारी और टेंडर प्रकिया में भारी वित्तिय अनियमितताएॅ पायी गयी थी। इस खेल आयोजन पर 70 हजार करोड रूपये का खर्चा आया था जिसमें यह पाया गया कि खिलाडी और तैयारियों पर आधा भी पैसा खर्च नहीं किया गया और मामूली किमत वाले सामानों को भी भारी किमत के हिसाब से संबधित फमों को भूगतान किया गया। उस समय राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिती के अध्यक्ष सुरेश कालमाडी थे।
बोफोर्स घोटाला
इस घोटाले के आरोप 1986 की राजीव गांधी सरकार पर लगे थे। इस घोटाले ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले का खुलासा स्वीडन के रेडियो ने किया था। इस घोटाले में स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स पर आरोप था कि उसने डील फाइनल करने के लिये 1.42 करोड डॉलर की रिश्वत बांटी थी। यह बोफोर्स तोपों का सौदा 1.3 अरब डॉलर का था। इसमें बिचौलिये की भूमिका इटली के व्यापारी क्वात्रोची ने की थी। इस घोटाले के आरोप राजीव गांधी पर लगे थे। इस घोटाले के कारण 1989 में राजीव गांधी सरकार को चुनावों में हार मिली थी और विश्वनाथ प्रताप सिंह नये नेता के रूप में उभरे थे।
चारा घोटाला
यह उस समय स्वतंत्र भारत का सबसे बडा घोटाला था। 1996 में सामने आये इस घोटाले में तात्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व मूख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र पर आरोप लगे थे। यह घोटाला पशुओ की दवाओं, चारे और पशुपालन से जूडा हुआ था। इस आरोप के बाद लालू प्रसाद यादव को मूख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पडा था। और उनकी जगह उन्होनें राबडी को मुख्यमंत्री बनाया था। इस घोटाले के कारण उन्हें जेल भी जाना पडा था और उन्हें 11 वर्ष के लिये लोकसभा के लिये अयोग्य घोषित कर दिया गया था।