आज भारत दुनिया में सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के रूप में जाना जाता है | लेकिन आजादी से पहले भारत देश 720 रियासतों में बंटा हुआ था | हरेक रियासत पर राजाओ का राज था और अंग्रेजों का संरक्षण प्राप्त था | देश जरूर गुलाम था लेकिन राजाओ की शानो शौकत में कोई कमी नहीं थी | इन्ही राजाओ में से एक राजा ऐसे भी थे | जिनकी शानो शौकत देख कर हर कोई हैरान रह जाता था | उनकी विलासिता की चर्चा देश ही नहीं विदेशों तक थी | ये महाराजा थे पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के दादा महाराजा भूपिंदर सिंह |
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रंगीन मिजाज थे ये राजा
दिवान जर्मनी दास ने अपनी किताब महाराजा में पटियाला के राजा भूपिंदर सिंह की विलासिता और रंगीन मिजाजी के बारे में विस्तार से बताया है | महाराजा भूपिंदर सिंह जन्म पटियाला के मोतीबाग में 12 अक्टूबर 1891 में हुआ था | उनके पिता महाराजा राजेंद्र सिंह का निधन 1900 में हो गया था तब भूपिंदर सिंह केवल 9 वर्ष के थे |पिता के निधन के बाद उन्होंने छोटी सी उम्र में राजपाट संभल लिया था | इनका किला पटियाला शर के बीचोबीच 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है | इस महल में मुख्य महल गेस्ट हाउस और दरबार हॉल बना हुआ है | महल की दीवारों को बहुत ही सुंदर भित्ति चित्रों से सजाया गया है | यह एक मुबारक किला है जिसके अंदर 16 कांच के चेंबर है | भूपिंदर सिंह के मुख्य महल में एक हॉल, महिला चेंबर और लस्सी खाना है | यहाँ के रसोई खाने में एक सुरंग है जिससे राजा युद्ध के समय महल में आया जाया करते थे | यहाँ के रसोई घर में रोजाना ३५०० लोगो का खाना बना करता था |
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अनमोल हार पहनते थे
महाराजा भूपिंदर सिंह की शानोशौकत को देखकर अंग्रेज भी हैरान रह जाते थे वे 17 करोड़ के डिनर सेट में खाना खाते थे | इसके अलावा उनके पास 166 करोड़ का हार था जिसमे 2930 डायमंड जड़े हुए थे | इसके अलावा उनके 365 रानियाँ थी | जिन शभी के लिए पटियाला में भव्य महल बनाये गए थे | अब आपके मन में भी एक सवाल आया होगी की महाराजा इतनी साडी रानियों को संतुस्ट कैसे करते थे | इसके समाधान के लिए वे रोजाना 365 लालटेन जलवाते थे | उन सभी लालटेनों पर सभी रानियों के नाम लिखे होते थे | सुबह होने पर जो लालटेन सबसे पहले बुझती थी महाराजा उसी महारानी के साथ रात गुजारा करते थे |
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क्रिकेट का रखते थे शौक
जिस समय में लोगो के साइकल और मोटरसाइकिल भी नहीं हुआ करती थी उस समय महाराजा के पास खुद का प्लेन था और उसके लिए उन्होंने अपने राज्य में पहला रनवे भी बनवाया था | इसका नाम पटियाला क्लब था | प्लेन के अलावा महाराजा के पास 44 रोल्स रॉयस कार थी जिनमें 20 रोल्स रॉयस कार का इस्तेमाल रोज दौरे के लिए किया करते थे | महाराजा भूपिंदर सिंह ने ही भारत में क्रिकेट को प्रोत्साहन दिया है| उन्होंने ही अमृतसर और मुंबई में 2 स्टेडियम बनवाये | उनके करना भी भारत में क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की स्थापना हुई | महाराजा ने ही राजकुमार रणजीत सिंह को श्रदांजलि देने के लिए रणजी ट्रॉफी की शुरुआत की थी |
पटियाला पेग को दिया नाम
पटियाला पेग शुरू करने का रिवाज भी महाराजा भूपिंदर सिंह ने किया था | एक बार जब आयरलैंड की टीम भारत में खेलने आयी तब महराजा ने उन्हें मैच हराने के लिए एक प्लान बनाया | उन्होंने मैच से पहले खिलाड़ियों को बुलाया और पार्टी की | पार्टी में शराब रखी गयी और आयरलैंड के खिलाड़ियों को जब परोसी गयी तब उनके पेग का साइज बड़ा रखा गया | तब आयरलैंड के खिलाड़ियों ने पूछा आखिर ये पेग इतना बड़ा क्यों है | तब महाराजा ने कहा की ये पटियाला पेग है | तभी से इसको पटियाला पेग के नाम से जाना जाता है |