इस कलयुग में लोगों के मन में हनुमान जी के प्रति असीम श्रद्धा है। अंजनीपूत्र रामभक्त हनुमान के पूरे देष में अनगिनत मंदिर है लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर हनुमान जी का दाढी मुॅंछ वाला रूप विराजित है। राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर बालाजी सिद्धपीठ में हमेषा भक्तों की भारी भीड लगी रहती है। इस मंदिर में जो भी भक्त अपनी कोई भी मन्नत लेकर आता है वो इस मंदिर में आकर जरूर पूरी होती है। मंदिर में भगवान के दाढी मुॅछ के रूप में होने के पीछे भी एक कहानी है।
इस राज्य में है स्थित
यह मंदिर जयपुर बीकानेर राजमार्ग पर लक्ष्मणगढ तहसील से 30 किलोमीटर की दूरी पर सालासर देवस्थान में स्थित है। इस मंदिर में राजस्थान से ही नहीं बल्कि पूरे देष भर से श्रद्धालु आते है। हरियाणा के लोगों में इस मंदिर को लेकर खास आस्था है। मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या की वजह से यहां बहुत सारी धर्मषालायें बनायी गयी है। इस मंदिर में हर जगह से निराष लोग भी खुषियॉ लेकर जाते है।
इस वजह से लगता है चूरमे का भोग
यह मंदिर कैसे अस्तित्व में आया इसके पीछे की कहानी भी जान लें। इस क्षेत्र में बहुत साल पहले मोहनदास नाम के एक व्यक्ति रहा करते थे जो कि हनुमान जी के बडे भक्त थे। एक दिन उन्हें सपने में हनुमान जी ने अपने दाढी मुॅछ वाले रूप में दर्षन दिये। उसके कुछ दिन बाद एक जाट किसान को जब वह अपने हल से खेत जोत रहा था तो उसके हल से एक कठोर चीज टकरायी तो उसने वहां खुदायी की तो वहां उसे एक विषाल मूर्ति दिखायी दी। जिसमें उस किसान को हनुमान जी की मूरत दिखायी दी। उस दिन किसान की पत्नि किसान के लिये खाने में चुरमा लायी थी। उस जाट किसान ने वही चूरमें का भोग बालाजी की मूर्ति के लगाया। और उसी दिन से बालाजी के चूरमे का भोग लगाया जाता है।
सपने में दिये थे दर्षन
ठीक उसी दिन असोका के ठाकुर के सपने में भी बालाजी ने दर्षन दिये और वह मूर्ति सालासर में लाने के लिये कहा। वहीं दूसरी ओर मोहनदास को सपने में बालाजी ने कहा कि सालासर पहॅुचने के बाद कोई भी बैलगाडी के हाथ न लगाये और जहां कहीं भी यह बैलगाडी अपनेआप रूक जाये वहीं पर बालाजी की मूर्ति की स्थापना कर दी जाये। उस दिन से बालाजी वहीं विराजित है। इस मंदिर में बालाजी के अलावा माता अंजनी और मोहनदास के भी मंदिर है। हर साल शरद पूर्णिमा पर यहां मेला लगता है। पूरे भारत में यह एकमात्र मंदिर है जहां बालाजी की सिंदूरी मूर्ति दाढी मुॅंछ में स्थापित है। देष भर से श्रद्धालु बडी श्रद्धा के साथ यहां पर आते है।