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Home Uncategorized

harivansh rai bachchan biography in hindi

vikram1427 by vikram1427
November 9, 2016
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harivansh rai bachchan biography in hindi

हिंदी कविता के पुरोधा हरिवंश राय बच्चन

हिंदी विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक है तथा यह संवेधानिक रूप से भारत की राष्ट्रभाषा है जो की चीनी और अंग्रेज़ी के बाद विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. हिंदी ने विश्व साहित्य में अपना एक नाम बनाया है और इसे बनाने में बहुत से हिंदी लेखको ने अपना योगदान दिया है. इसी कड़ी में हरिवंश राय बच्चन जी का नाम आता है जिन्होंने अपने साहित्य के द्वारा विश्व साहित्य में हिंदी का नाम स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आज का दिन इसलिए हिंदी के लिए यादगार बन जाता है की विश्व कवी हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म आज के ही दिन हुआ था. आइये उनके बारे में कुछ जानकारी   साझा करते है.

हरिवंश राय बच्चन जी का जीवन परिचय

विश्व कवी हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म २७ नवम्बर १९०७ को उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गाँव के  कायस्थ परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था. बचपन में गाँव की भाषा के अनुसार इन्हें बच्चन ( बच्चा) कहा जाता था यह नाम इतना लोकप्रिय हुआ की आगे चलकर इनका सरनेम बच्चन ही प्रसिद्ध हो गया. इनको उर्दू की शिक्षा के लिए  कायस्थ पाठशाला में पढाया गया. उर्दू को उस समय कानून की पढाई के लिए जरुरी माना जाता था.  इसके बाद उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. की शिक्षा  प्राप्त  की तथा  कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि W.B.Yeats की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी. की डिग्री प्राप्त की.

19 वर्ष की आयु में हरिवंश राय बच्चन का विवाह १४ वर्ष की श्यामा बच्चन से १९२६ में कर दिया. पर दस वर्ष बाद १९३६ में T.B. के कारण श्यामा बच्चन का देहांत हो गया. प्रथम पत्नी के देहांत के पांच वर्ष बाद १९४१ में  इन्होने पंजाबी लड़की तेजी सूरी से विवाह किया जो की रंगमंच और गायन के क्षेत्र से जुडी हुई थी.  तेजी बच्चन से हरिवंश राय बच्चन को दो पुत्र प्राप्त हुए.   अमिताभ और अजिताभ ,   अमिताभ बच्चन आज बॉलीवुड  के प्रसिद्ध  कलाकार है.

सन १९४१ से १९५२ तक उन्होंने इलाहाबाद में इंग्लिश साहित्य के अध्यापक के रूप में शिक्षा प्रदान की उसके बाद वो दो वर्षो के लिए पीएचडी करने कैंब्रिज चले गए वहा से लौटने के बाद उन्होंने आल इंडिया रेडिओ पर निर्माता के रूप में काम किया उसके बाद उन्होंने दिल्ली में विदेश मंत्रालय में कार्य करने का मौका मिला जहा उन्हें हिंदी की उन्नति के लिए कार्य करने का मौका मिला.

सम्मान

  • 1968  में साहित्य अकादमी पुरस्कार कृति दो चट्टानों के लिए सम्मानित किया गया.
  • १९६८ में ही सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार के लिए सम्मानित किया गया.
  • १९६८ में ही एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार के लिए सम्मानित किया गया.
  • बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें सरस्वती सम्मान प्रदान किया.
  • १९७६ में भारत सरकार द्वारा  साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण  से सम्मानित किया गया.

कविता संग्रह

  • तेरा हार (1929),
  • मधुशाला (1935)
  • मधुबाला (1936)
  • मधुकलश (1937)
  • सतरंगिनी (1945)
  •  हलाहल (1946)
  • बंगाल का काव्य (1946)
  • प्रणय पत्रिका (1955)
  • आरती और अंगारे (1958)
  • दो चट्टानें (1965)
  • उभरते प्रतिमानों के रूप (1969)

हरिवंशराय बच्चन जी की कुछ लोकप्रिय कविता

नीड़ का निर्माण

नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!

वह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा,
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा,

रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आ‌ई और काली,
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा,

रात के उत्पात-भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर!

 

मधुशाला

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।। १।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।। २।
प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।। ३।
भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।। ४।
मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला,
भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला,
उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ,
अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।। ५।

 

 

स्वर्गवास

95 वर्ष की उम्र में १८ फ़रवरी २००३ में हरिवंश राय बच्चन का स्वर्गवास हो गया. यह हिंदी साहित्य के लिए एक अपुरनीय क्षति थी.

आपको harivansh rai bachchan biography in hindi पोस्ट कैसा लगा कृपया मुझे कमेण्ट बाॅक्स में जाकर कमेण्ट करें जिससे मैं आगे और भी अच्छा लिख पाउॅंगा इसके अलावा आप कोई सुझाव भी देना चाहें तो मुझे अवश्य दें इसी कामना के साथ धन्यवाद।

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